संतुलन ही आधार

हरित धरा, पावन पवनसुखद प्राणी, अविरल जलपरमात्मा ने सौंपा यह सुन्दर उपहारमानव देखे जिसको बारम्बार चला मनुष्य खोजने नए विचारहर दिन ढूंढे नए अविष्कारबनते गए…