शहर में कुछ धुआं सा है

लोग नाराज़ है,कुछ कोसते भी हैक्यों शहर में धुआं सा है ।जैसे खुद को इस शहर ने ही जलाया हो,पूछते सब है कैसा यह शहर है,जहां सब धुंधला सा है ॥ शहर मेरा आज कुछ उलझा सा है,कहाँ मैं खो गया, कैसे हाल यह मेरा…

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  • Post category:Poems

शहर में कुछ धुआं सा है

लोग नाराज़ है,कुछ कोसते भी हैक्यों शहर में धुआं सा है ।जैसे खुद को इस शहर ने ही जलाया हो,पूछते सब है कैसा यह शहर है,जहां सब धुंधला सा है ॥ शहर मेरा आज कुछ उलझा सा है,कहाँ मैं खो गया, कैसे हाल यह मेरा…

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