शहर में कुछ धुआं सा है

लोग नाराज़ है,कुछ कोसते भी हैक्यों शहर में धुआं सा है ।जैसे खुद को इस शहर ने ही जलाया हो,पूछते सब है कैसा यह शहर है,जहां सब धुंधला सा है ॥ शहर मेरा आज कुछ उलझा सा है,कहाँ मैं खो गया, कैसे हाल यह मेरा…

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शहर में कुछ धुआं सा है

लोग नाराज़ है,कुछ कोसते भी हैक्यों शहर में धुआं सा है ।जैसे खुद को इस शहर ने ही जलाया हो,पूछते सब है कैसा यह शहर है,जहां सब धुंधला सा है ॥ शहर मेरा आज कुछ उलझा सा है,कहाँ मैं खो गया, कैसे हाल यह मेरा…

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आज और कल

कल फिर आती हूँ , यह कह वो चली गईन कल आया और न वो आई कल फिर आने का कहकर जो चली गईवो आने वाला नहीं बीता हुआ कल हैभ्रम है, मिथ्या है, छल है कल के इंतज़ार में, तू इस बात से अनजान…

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वो गुरु ही तो है जिसने धरा रूप निराला

नर तन धर हम आ गए,पर चारो ओर झमेला है।हे ! ईश्वर मन मेरा भरमाए,यह कहाँ मुझे धकेला है।। डरना नहीं है तुझको,मिलेंगे अनेक रक्षक तुझको।बस उनको तू पहचान लेना,हाथ उनका कसकर थाम लेना।। सही कहा था आपने हे ! ईश्वर।। मेरे लड़खड़ाते कदमों को…

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वो गुरु ही तो है जिसने धरा रूप निराला

नर तन धर हम आ गए,पर चारो ओर झमेला है।हे ! ईश्वर मन मेरा भरमाए,यह कहाँ मुझे धकेला है।। डरना नहीं है तुझको,मिलेंगे अनेक रक्षक तुझको।बस उनको तू पहचान लेना,हाथ उनका कसकर थाम लेना।। सही कहा था आपने हे ! ईश्वर।। मेरे लड़खड़ाते कदमों को…

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तितली वाला फूल

आज रास्ते में तितली वाला फूल दिख गया,आखों के सामने कुछ चित्र चलने लगे,हँसता खिलखिलाता एक चेहरा,फूल की पत्तियों की सीटी बजाता हुआ । दूसरे ही पल स्मृति के वह दृश्य सदृश्य हो उठे,बच्चों की एक टोली वहाँ से गुजरती थम गई,एक एक करके फूल…

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तितली वाला फूल

आज रास्ते में तितली वाला फूल दिख गया,आखों के सामने कुछ चित्र चलने लगे,हँसता खिलखिलाता एक चेहरा,फूल की पत्तियों की सीटी बजाता हुआ । दूसरे ही पल स्मृति के वह दृश्य सदृश्य हो उठे,बच्चों की एक टोली वहाँ से गुजरती थम गई,एक एक करके फूल…

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बड़ा हुआ तो गुलाम हुआ

काठ का वो पालना लगता तब छोटा थासफलता की यह कुर्सी लगती ऊँची हैपर उस पालने में रोने हसने की छूट थीइस कुर्सी पर जकड़े अपना ही दम्भ है छोटा सा वो गुल्लक,सिमित सा उसका आकारअब असीमित बैंक बैलेंस, अनंत उसका विस्तारपर उस थोड़े में…

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बड़ा हुआ तो गुलाम हुआ

काठ का वो पालना लगता तब छोटा थासफलता की यह कुर्सी लगती ऊँची हैपर उस पालने में रोने हसने की छूट थीइस कुर्सी पर जकड़े अपना ही दम्भ है छोटा सा वो गुल्लक,सिमित सा उसका आकारअब असीमित बैंक बैलेंस, अनंत उसका विस्तारपर उस थोड़े में…

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अभिमान

इंसान भी गजब एंटरटेनमेंट हैहर एक ने अपनी गढ़ी हुई एक सल्तनत हैहर किसी को मैं की भयंकर बिमारी हैकुछ को तो मालूम नहीं की अहम् ने उनकी क्या दशा कर डाली है कोई सुंदरता पर इतराया है,तो किसी को अपने ज्ञान का मोल भाया…

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