आज़ादी
आज फिर तिरंगा हवा में लहराएगादेख उसे हर दिल आज़ादी का अहसास पायेगा गुलामी की बेड़ियों से हमें आज़ाद करवा गएअनगिनत चेहरे देश के भविष्य पर मिट गए पर इस आज़ाद हवा को अभी भी कुछ जकड़ रहा हैकृत्रिम बेड़ियों का जाल हमें फांस रहा…
आज फिर तिरंगा हवा में लहराएगादेख उसे हर दिल आज़ादी का अहसास पायेगा गुलामी की बेड़ियों से हमें आज़ाद करवा गएअनगिनत चेहरे देश के भविष्य पर मिट गए पर इस आज़ाद हवा को अभी भी कुछ जकड़ रहा हैकृत्रिम बेड़ियों का जाल हमें फांस रहा…
आज फिर तिरंगा हवा में लहराएगादेख उसे हर दिल आज़ादी का अहसास पायेगा गुलामी की बेड़ियों से हमें आज़ाद करवा गएअनगिनत चेहरे देश के भविष्य पर मिट गए पर इस आज़ाद हवा को अभी भी कुछ जकड़ रहा हैकृत्रिम बेड़ियों का जाल हमें फांस रहा…
तोतली भाषा में आँगन की चिड़ियों से बतलानावह था जीवन का पहला दोस्ताना गुड्डे गुड़ियों से दिल की सब बातें करनाजीव निर्जीव के अंतर से पार था वह दोस्ताना खेल खेल में एक दुसरे को चिढ़ाना ,फिर गले लगाकर उसको मनानामासूमियत से भरा हुआ था…
तोतली भाषा में आँगन की चिड़ियों से बतलानावह था जीवन का पहला दोस्ताना गुड्डे गुड़ियों से दिल की सब बातें करनाजीव निर्जीव के अंतर से पार था वह दोस्ताना खेल खेल में एक दुसरे को चिढ़ाना ,फिर गले लगाकर उसको मनानामासूमियत से भरा हुआ था…
Give him choice to soften and cryGive her chance to falter and try Give him choice to take restGive her option to drive and test Don't fix them in mouldsAllow them to unwrap as many folds Don't mix them to create equalsLook at them as…
पूरा जीवन भाग दौड़ में निकालने क बाद वृद्धावस्था का थमाव वैसे ही अजीब लगता है जैसे गर्मी में बिजली चले जाने से कूलर बंद होने से हुआ सन्नाटा। एक और जीवन भर हम सुकून के दो पल ढूंढते रहते है पर अंत तक आदत…
पूरा जीवन भाग दौड़ में निकालने क बाद वृद्धावस्था का थमाव वैसे ही अजीब लगता है जैसे गर्मी में बिजली चले जाने से कूलर बंद होने से हुआ सन्नाटा। एक और जीवन भर हम सुकून के दो पल ढूंढते रहते है पर अंत तक आदत…
I" surrounded the cloud of his imaginationHe painted the glamour of "I" with fascinationLaurels of win and sounds of clap"I" was applauded for conquering the mapThe moment of a small testThe panic caused by small factForced him to look beyond the "I"In the moment of…
हरित धरा, पावन पवनसुखद प्राणी, अविरल जलपरमात्मा ने सौंपा यह सुन्दर उपहारमानव देखे जिसको बारम्बार चला मनुष्य खोजने नए विचारहर दिन ढूंढे नए अविष्कारबनते गए नए उपकरणगति को लगने लगे थे पंख अपनी हर सफलता मेंप्रकृति को उसने कुचलासाथी न बन मालिक का चौला पहना…
हरित धरा, पावन पवनसुखद प्राणी, अविरल जलपरमात्मा ने सौंपा यह सुन्दर उपहारमानव देखे जिसको बारम्बार चला मनुष्य खोजने नए विचारहर दिन ढूंढे नए अविष्कारबनते गए नए उपकरणगति को लगने लगे थे पंख अपनी हर सफलता मेंप्रकृति को उसने कुचलासाथी न बन मालिक का चौला पहना…
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