तोतली भाषा में आँगन की चिड़ियों से बतलाना
वह था जीवन का पहला दोस्ताना
गुड्डे गुड़ियों से दिल की सब बातें करना
जीव निर्जीव के अंतर से पार था वह दोस्ताना
खेल खेल में एक दुसरे को चिढ़ाना ,फिर गले लगाकर उसको मनाना
मासूमियत से भरा हुआ था स्कूल का दोस्ताना
घर से दूर माँ का प्यार , पिता की डांट, इन सभी की कमी को पूरा करने वाला
मुझको मुझसे अलग करके , सबके साथ घुला मिलाकर रखने वाला
दुनियादारी और रिश्तों का पहला पाठ पढ़ाने वाला
बहुत याद आता है कॉलेज और हॉस्टल का दोस्ताना
जिम्मेदारी और कम्पटीशन की जहां लगी हुई दौड़ हो,
उस भीड़ में कोई पूछ ले एक चाय की प्याली को
औपचारिक माहौल को अपनेपन से भरने वाला ऑफिस का दोस्ताना
जीवन में हमसफ़र बनकर साथ देना
सुख और दुःख दोनों को समान्तर निभाना
हर मोड़ पर साथ रहकर हिम्मत दे जाना
जीवन साथी के रूप में मिला ऐसा दोस्ताना
जीवन के इंद्रधनुष में रंग भर्ती है दोस्ती
अनगिनत रूपों में मिलती है हमको दोस्ती
यूँ तो हर सांचे में ढल जाए , पर किसी सांचे में कैद नहीं होती है दोस्ती
केवल सच्ची भावनाओं का रूप है दोस्ती
3 replies on “दोस्ती”
वाह!!!!बेहतरीन।मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं💐
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Superb.. very nice poem.
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Nice Lines
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