नर तन धर हम आ गए,पर चारो ओर झमेला है।
हे ! ईश्वर मन मेरा भरमाए,यह कहाँ मुझे धकेला है।।
डरना नहीं है तुझको,मिलेंगे अनेक रक्षक तुझको।
बस उनको तू पहचान लेना,हाथ उनका कसकर थाम लेना।।
सही कहा था आपने हे ! ईश्वर।।
मेरे लड़खड़ाते कदमों को स्थिर करने वाला,
मेरी तोतली बोली में दुनिया के शब्द भरने वाला,
वो गुरु ही तो है जिसने धरा रूप निराला।
काला अक्षर जो था भैंस बराबर,
उसके रहस्य को मेरे लिए खोला।
जिस ज्ञान का दम मैं हूँ भरता,
उस ज्ञान को मुझमें जिसने सींचा।।
मेरे हर गुर को निखारने वाला,
गुरुर के नशे से जो मुझे बचाये।
आसमान की ऊंचाई पर मुझे वो देखना चाहे,
मैं उसको क्या दे पाऊं, कर जोड़ कर बस नमन की कर पाऊं।।