शहर में कुछ धुआं सा है

लोग नाराज़ है,कुछ कोसते भी हैक्यों शहर में धुआं सा है ।जैसे खुद को इस शहर ने ही जलाया हो,पूछते सब है कैसा यह शहर…

आज और कल

कल फिर आती हूँ , यह कह वो चली गईन कल आया और न वो आई कल फिर आने का कहकर जो चली गईवो आने…

वो गुरु ही तो है जिसने धरा रूप निराला

नर तन धर हम आ गए,पर चारो ओर झमेला है।हे ! ईश्वर मन मेरा भरमाए,यह कहाँ मुझे धकेला है।। डरना नहीं है तुझको,मिलेंगे अनेक रक्षक…