बिन बुलाए बिन चाहे ग़ुस्सा आ ही जाता है

जब कोई ना कहे मनचाही बातें,
जब ना मिले मनचाहा स्वाद,
ग़ुस्सा आ ही जाता है

सड़क पर हो जाए जो कुछ देरी,
इंटरनेट स्पीड में जो घूम जाए फेरी,
ग़ुस्सा आ ही जाता है

बादशाहत की चाह को कोई कदरदान न मिले
जब ज्ञान के अहम को कोई कुछ सीख दे
ग़ुस्सा आ ही जाता है

पर इस ग़ुस्से के आने और जाने में ,
बहुत कुछ खो देते है हम

खो देते है कुछ पल जो हसीन हो सकते थे,
खो देते है कुछ रिश्ते जो सहेजे जाने थे

इसके बिगाड़े को सुधारना मुमकिन नहीं
बेहतर है इसके आने की आहट से ही सचेत जाए हम
यह हमें चलाए उससे पहले इसी को चलता करें हम

You might Like

आज़ादी

आज फिर तिरंगा हवा में लहराएगादेख उसे हर दिल आज़ादी का अहसास पायेगा गुलामी की बेड़ियों से हमें आज़ाद करवा गएअनगिनत चेहरे देश के भविष्य

Read More »

आलस और मैं

जीवन में बिन बुलाये मेहमानों को कमीं नहीं है ,और कुछ की बेशर्मी की तो हद ही नहीं है । अब आलस को ही देख

Read More »

माँ

रब ने साँचा एक मन से गढ़ा,प्रेम और ममता से उसको मढ़ा ।कह दिया कि तुम्हें संसार सजाना है,पर यह रह गया कि रिश्ता ख़ुद

Read More »

Recent Posts

समय का पहिया चलता है

बसंत के इस मौसम में चारों ओर रंग बिखरे हुए हैं। घर की बालकनी से बाहर देखो तो हर ओर बसंत की छाप झलकती हैं।

Read More »
No more posts to show

This Post Has 0 Comments

Leave a Reply