माँ का ख्याल

सोचा माँ से उनका हाल पूछ लूँ
कैसी है वो यह जान लूँ

बातों का सिलसिला जो शुरू हुआ
बच्चों से लेकर रसोई तक का क़िस्सा बयान हुआ

उलझनों को सुलझाने की कोशिश हुई
ग़ुस्से पर क़ाबू रखने की सलाह दी गई

सभी का साथ निभाने के कुछ सूत्र मिले
अपना भी ख्याल रखना है यह अनुदेश मिले

दरवाजे पर हुई आहट ने बीच में टोका
मुझे माँ की गोद से मानो खींचा

फिर बात करने का वादा कर
वर्तमान से मैंने खुद को जोड़ा

पर माँ कैसी है यह तो पूछा ही नहीं
मैं कहती रही और वो बस सुनती ही रही

बचपन की कहानीयों से लड़कपन की परेशानियों तक
वो सुनती ही तो आई है

उससे बात करना दिल हल्का कर देता है
सब ठीक हो ही जाएगा यह विश्वास दिला देता है

Pratiksha

Learner for life, from life