नर तन धर हम आ गए,पर चारो ओर झमेला है।
हे ! ईश्वर मन मेरा भरमाए,यह कहाँ मुझे धकेला है।।

डरना नहीं है तुझको,मिलेंगे अनेक रक्षक तुझको।
बस उनको तू पहचान लेना,हाथ उनका कसकर थाम लेना।।

सही कहा था आपने हे ! ईश्वर।।

मेरे लड़खड़ाते कदमों को स्थिर करने वाला,
मेरी तोतली बोली में दुनिया के शब्द भरने वाला,
वो गुरु ही तो है जिसने धरा रूप निराला।

काला अक्षर जो था भैंस बराबर,
उसके रहस्य को मेरे लिए खोला।
जिस ज्ञान का दम मैं हूँ भरता,
उस ज्ञान को मुझमें जिसने सींचा।।

मेरे हर गुर को निखारने वाला,
गुरुर के नशे से जो मुझे बचाये।
आसमान की ऊंचाई पर मुझे वो देखना चाहे,
मैं उसको क्या दे पाऊं, कर जोड़ कर बस नमन की कर पाऊं।।

You might Like

तितली वाला फूल

आज रास्ते में तितली वाला फूल दिख गया,आखों के सामने कुछ चित्र चलने लगे,हँसता खिलखिलाता एक चेहरा,फूल की पत्तियों की सीटी बजाता हुआ । दूसरे

Read More »

माँ का ख्याल

सोचा माँ से उनका हाल पूछ लूँकैसी है वो यह जान लूँ बातों का सिलसिला जो शुरू हुआबच्चों से लेकर रसोई तक का क़िस्सा बयान हुआ उलझनों को सुलझाने की कोशिश हुईग़ुस्से पर क़ाबू रखने की सलाह दी गई सभी का साथ निभाने के कुछ सूत्र मिलेअपना भी ख्याल रखना है यह अनुदेश मिले दरवाजे […]

Read More »

Recent Posts

समय का पहिया चलता है

बसंत के इस मौसम में चारों ओर रंग बिखरे हुए हैं। घर की बालकनी से बाहर देखो तो हर ओर बसंत की छाप झलकती हैं।

Read More »
No more posts to show

Leave a Reply