कैसी यह अंजीर
तश्तरी में रखी वह मुस्कुरा रही थी,थोड़ा शर्मा रही थी,थोड़ा मुझे चिढ़ा रही थी । मन में ग़ज़ब व्याधि थी,कैसे पूरा यह काम हो,बड़ी ही भरी दुविधा थी । पूरा ख़त्म करना है,कानों में यह शब्द गूँज पड़े,जाते जाते दी गई चेतावनी,अचानक जीवंत हो उठी…
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