बड़ा हुआ तो गुलाम हुआ

काठ का वो पालना लगता तब छोटा थासफलता की यह कुर्सी लगती ऊँची हैपर उस पालने में रोने हसने की छूट थीइस कुर्सी पर जकड़े अपना ही दम्भ है छोटा सा वो गुल्लक,सिमित सा उसका आकारअब असीमित बैंक बैलेंस, अनंत उसका विस्तारपर उस थोड़े में…

Continue Readingबड़ा हुआ तो गुलाम हुआ
  • Post category:Poems

अभिमान

इंसान भी गजब एंटरटेनमेंट हैहर एक ने अपनी गढ़ी हुई एक सल्तनत हैहर किसी को मैं की भयंकर बिमारी हैकुछ को तो मालूम नहीं की अहम् ने उनकी क्या दशा कर डाली है कोई सुंदरता पर इतराया है,तो किसी को अपने ज्ञान का मोल भाया…

Continue Readingअभिमान
  • Post category:Poems

अभिमान

इंसान भी गजब एंटरटेनमेंट हैहर एक ने अपनी गढ़ी हुई एक सल्तनत हैहर किसी को मैं की भयंकर बिमारी हैकुछ को तो मालूम नहीं की अहम् ने उनकी क्या दशा कर डाली है कोई सुंदरता पर इतराया है,तो किसी को अपने ज्ञान का मोल भाया…

Continue Readingअभिमान
  • Post category:Poems

End of content

No more pages to load