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जिसके आन्चल की दुआएं खत्म न हो कभी
ऐसी सख्शियत होती है मां की

बिन बोले ही तस्तरी हजारों सजा दे
ऐसी रसोई होती है मां की

दुनिया की हर कङी का ज्ञान सुझाए
ऐसी कक्षा होती है मां की

कङवी होकर भी दिल को भाए
ऐसी डाँट होती है मां की

एक छींक पर भगवान को काम पर लगा दे
ऐसी चिंता होती है मां की

जन्म से लेकर अन्तिम क्षण तक
हर सांस ऋणी होती है मां की

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This Post Has 6 Comments

  1. Sushila yadav

    सही कहा और खास तौर से औरोत की तो एक ही मां होती है।कुछ दिन पहले यह कविता पढ़ी थी मन को छू गई:
    बचपन में
    खाना मनपसन्द न हो
    तो माँ कई और ऑप्‍शन देतीं…
    अच्‍छा घी लगा के
    गुड़ के साथ रोटी खा लो.
    अच्‍छा आलू की
    भुजिया बना देती हूँ चलो.
    अच्छा चलो
    दूध के साथ चावल खा लो…
    माँ नखरे सहती थी,
    इसलिए उनसे लड़ियाते भी थे.
    लेकिन
    बाद में किसी ने
    इस तरह लाड़ नहीं दिखाया.
    मैं भी अपने आप
    सारी सब्जियाँ खाने लगीं.
    मेरे जीवन में
    माँ केवल एक ही है,
    दोबारा कभी कोई माँ नहीं आई.
    पति कब
    छोटा बच्‍चा हो जाता है,
    कब उस पर मुहब्‍बत से ज्‍यादा दुलार बरसने लगता है… पता ही नहीं चलता.
    उनके सिर में
    तेल भी लग जाता है,
    ये परवाह भी होने लगती है कि उसका पसन्दीदा (फेवरेट) खाना बनाऊँ, उसके नखरे भी उठाए जाने लगते हैं.
    लड़कों के
    जीवन में कई माँएँ आती हैं,
    बहन भी माँ हो जाती है,
    पत्‍नी तो होती ही है….
    बेटियाँ भी
    एक उम्र के बाद
    बूढ़े पिता की माँ ही बन जाती हैं.
    लेकिन
    लड़कियों के पास
    जीवन में केवल एक ही माँ होती है.
    बड़े होने के बाद
    उसे दोबारा कोई माँ नहीं मिलती, वो लाड़-दुलार, नखरे, दोबारा कभी नहीं आते.
    लड़कियों को
    जीवन में केवल और केवल
    एक बार हाँ एक ही बार मिलती है माँ.
    😥😥😥😥😥

  2. avinashnlall

    हे माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी?

  3. Seema kaur

    Jo rula kr mna le wo ppa hai
    Jo rula kr khud bhi ro de
    Wo MAA hai
    Love u maa…innnnaaaaa sarraaaa…

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