कहने सुनने में वो बात कहाँ ,
तुम हाले दिल लिख दिया करो ।
जो कहा सुना, वो गुम हो जाएगा ,
लिखा हुआ मुसलसल पढ़ा जाएगा ।
अक्षर जो काग़ज़ पर निखरे ,
वो बात करें, दिल में उतरे ।
भागती हुई इस ज़िंदगी में ,
ठहर कुछ पल,
तुम हाले दिल लिख दिया करो ।
कहने सुनने में वो बात कहाँ ,
तुम हाले दिल लिख दिया करो ।
जो कहा सुना, वो गुम हो जाएगा ,
लिखा हुआ मुसलसल पढ़ा जाएगा ।
अक्षर जो काग़ज़ पर निखरे ,
वो बात करें, दिल में उतरे ।
भागती हुई इस ज़िंदगी में ,
ठहर कुछ पल,
तुम हाले दिल लिख दिया करो ।
आज फिर तिरंगा हवा में लहराएगादेख उसे हर दिल आज़ादी का अहसास पायेगा गुलामी की बेड़ियों से हमें आज़ाद करवा गएअनगिनत चेहरे देश के भविष्य
जीवन में बिन बुलाये मेहमानों को कमीं नहीं है ,और कुछ की बेशर्मी की तो हद ही नहीं है । अब आलस को ही देख
हर किसी को डर सता रहा,पकड़े जाने का ।कुछ राज़ जो छिपा रखे,उनके खुल जाने का ॥ज़माने के सामने सब सीधे हैं ,सुलझे हैं ।पर
कहने सुनने में वो बात कहाँ ,तुम हाले दिल लिख दिया करो । जो कहा सुना, वो गुम हो जाएगा ,लिखा हुआ मुसलसल पढ़ा जाएगा
बसंत के इस मौसम में चारों ओर रंग बिखरे हुए हैं। घर की बालकनी से बाहर देखो तो हर ओर बसंत की छाप झलकती हैं।
“I will never make it again”, she announced. Her attempt to make the dish has not turned good. Or as per her it was failure.